नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप सभी।
मैं हूं आपकी ब्लॉगर और साथ ही youtuber मनीषा।
बहुत-बहुत स्वागत है आपका मेरी ब्लॉग वेबसाइट www.healthymannkibaat.com में।
दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं कि मैं अपने ब्लॉग वेबसाइट में बच्चों और बड़ों की हेल्थ के बारे में और स्वच्छता के बारे में Articles लिखती हूं।
इसी प्रकार मेरा आज का ब्लॉग भी हेल्थ से ही संबंधित है। आज के ब्लॉग में हम चर्चा करेंगे कि गर्भावस्था में एक महिला अपनी और अपने होने वाले बच्चे की देखभाल कैसे करें।
दोस्तों जब एक लड़की विवाह करके अपने ससुराल आती है तो उसकी जिंदगी में एक नई शुरुआत होती है। उसकी जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। बहुत से नए रिश्ते बनते हैं जिन्हें वह पूरी ईमानदारी से और लगन से निभाती भी है।
परंतु जब एक औरत को भगवान मां का दर्जा प्रदान करता है तब सही मायने में एक औरत संपूर्ण औरत बन जाती है, तब उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता वह उस पल को अपने अंदर समा लेना चाहती है जिस पल उसे पता चलता है कि उसके अंदर भी एक नन्हा सा जीव जो उसका खुद का है, जो उसको मां कहकर पुकारेगा, पल रहा है।
मां और बच्चे का रिश्ता जिसे ममता का रिश्ता कहा जाता है, यह दुनिया में सभी रिश्तो से ऊपर होता है।
जब एक स्त्री को यह पता चलता है कि वह मां बनने वाली है तो वह अपना हर कदम उस होने वाले बच्चे के बारे में सोचकर उठाती है ताकि उस नन्हे से जीव को कोई नुकसान ना हो जो उसके अंदर सांसे ले रहा है। अब से वह जो कुछ भी करती है, उठती है, बैठती है , सोती है जागती है, खाती है पीती है या सोचती है तो सिर्फ और सिर्फ उस बच्चे को ध्यान में रखकर हर चीज करती है।
जब एक स्त्री मां बनती है तो उसके शरीर में कई तरह के शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होने लगते हैं, जो कि गर्भ अवस्था से ही शुरू हो जाते हैं।
चलिए विस्तार से चर्चा करते हैं कि प्रेगनेंसी में किन बातों का बहुत ध्यान से ख्याल रखा जाए:-----
गर्भवती होने के लक्षण:------ जब एक स्त्री गर्भवती होती है तो उसके मासिक धर्म रुक जाते हैं। उसके व्यवहार में पहले की अपेक्षा काफी परिवर्तन होने लगता है जिसको Mood Swing कहते हैं। बार-बार पेशाब आने लगता है। कोई भी काम करते हुए थकान महसूस होने लगती है। सूंघने की क्षमता पहले की अपेक्षा ज्यादा तेजी से बढ़ जाती है। सिर में दर्द होने की शिकायत होने लगती है और कई बार चक्कर जैसा भी महसूस होता है। खाने की पसंद में बदलाव होने लगता है। पेट के निचले हिस्से में काफी दर्द महसूस होता है और साथ ही पीठ में भी दर्द की शिकायत हो सकती है। तो यदि आपको ऐसे लक्षण महसूस हो रहे हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से अपना प्रॉपर चेकअप करवाना चाहिए क्योंकि यह लक्षण गर्भवती होने की तरफ संकेत करते हैं।
Pregnency में रखें इन बातों का खास ख्याल:------तो अब जब आपको यह खुशखबरी मिल चुकी है कि आप मां बनने वाली हैं, तो अब आप की जिम्मेवारी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। आपको अब अपने साथ-साथ अपने अंदर पल रहे उस नन्हे से जीव का भी बहुत ध्यान से ख्याल रखना होगा। आपकी जरा सी भी लापरवाही आपको या आपके होने वाले बच्चे को खतरे में डाल सकती हैं।
तो अब भूल कर भी कोई भूल ना हो इसलिए इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है:------
1. सबसे पहले एक गर्भवती स्त्री को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। प्रेगनेंसी के दौरान भूख पहले की अपेक्षा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो जब भी आपको महसूस हो रहा है कि भूख लग रही है तो कुछ ना कुछ healthy food अवश्य खाएं।
प्रेगनेंसी के दौरान भूखे बिल्कुल ना रहे। अपने भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें। सभी प्रकार की दाले खाएं। अंकुरित अनाज खाएँ। सफेद चावल और सफेद ब्रेड के अपेक्षा ब्राउन चावल और ब्राउन ब्रेड को अपने भोजन में शामिल करें।
2. शरीर में पानी की कमी ना होने दें पूरे दिन कम से कम 8 से 10 गिलास पानी जरूर पिएं। पूरे दिन तरल पेय पदार्थ पानी, जूस, शेक, छाछ, नारियल पानी इत्यादि पीती रहें। जिससे शरीर में पानी की कमी नहीं हो पाएगी।
3. यदि सुबह के समय मॉर्निंग सिकनेस महसूस हो रही है तो सुबह नींबू पानी या अदरक वाली चाय पी सकते हैं जिससे काफी हद तक आराम मिलेगा।
4. प्रेगनेंसी के दौरान फास्ट फूड जितना हो सके उतना Avoid कीजिए क्योंकि इसमें Fat बहुत ज्यादा होता है जिससे शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है। जिससे आपको और आपके होने वाले बच्चे को बहुत नुकसान हो सकता है। इसलिए भूख लगने पर घर का बना हुआ संतुलित और पौष्टिक भोजन ही खाएं।
5. अपने भोजन में ज्यादा से ज्यादा फलों को शामिल करें। आप चाहे तो फल काटकर खाएं या फलों का जूस भी ग्रहण कर सकते हैं। तो जब भी भूख लगे कुछ भी उल्टा सीधा खाने के बजाए फल खाए। यह आपके लिए और आपके होने वाले बच्चे के लिए बहुत हेल्दी ऑप्शन है।
6. ड्राई फ्रूट्स का सेवन भी करते रहे जैसे कि बादाम, किशमिश, अखरोट, काजू इत्यादि। यह आपके और आपके होने वाले शिशु के लिए बहुत जरूरी है।
7. प्रेगनेंसी के दौरान ट्रेवलिंग करने से जितना हो सके उतना बचें। स्पेशली प्रेगनेंसी के पहले 2 महीने और लास्ट के आठवें नौवें महीने में ट्रैवलिंग करना बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए यदि बहुत जरूरी है तो डॉक्टर से सलाह मशवरा करके ही कदम आगे बढ़ाएं।
8. प्रेगनेंसी में ज्यादा भीड़भाड़ वाले स्थानों पर और प्रदूषण वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। यदि किसी कारणवश यात्रा कर भी रही है तो उबड़ खाबड़ वाले रास्तों पर जाने से बचें।
9. प्रेगनेंसी में High Heel के फुटवियर को अवॉइड करना बहुत आवश्यक होता है इस समय आरामदायक फुटवियर का ही चुनाव करें जो कि आपके लिए और आपके होने वाले बच्चे के लिए Safe हो। और प्रेगनेंसी में ज्यादा देर खड़े भी ना रहे इससे बेबी के विकास पर गलत असर पड़ता है।
अपने रोजमर्रा के काम करते हुए बीच-बीच में थोड़ा थोड़ा आराम भी करते रहें।
10. प्रेगनेंसी की शुरुआत से ही डॉक्टर कुछ इंजेक्शन बताते हैं जो कि आपके लिए और आपके होने वाली बेबी के लिए बहुत जरूरी होते हैं। इसलिए बिना किसी लापरवाही के जो वैक्सिनेशन जिस समय पर बताया गया है उस समय पर लगवाना बहुत आवश्यक होता है। इसमें बिल्कुल भी लापरवाही ना करें।
11. प्रेगनेंसी के दौरान ज्यादा भारी सामान ना उठाएं। और ना ही ज्यादा झुकने वाले काम करें। इससे आपके होने वाले बेबी को काफी नुकसान पहुंच सकता है। मिसकैरिज तक की संभावना भी उत्पन्न हो सकती है। इसलिए सावधानी रखना बहुत जरूरी होता है।
12. प्रेगनेंसी के दौरान यदि आपको कोई भी health संबंधित प्रॉब्लम हो रही तो बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी Medicine मत लीजिए अपनी मर्जी से कोई भी दवाई लेंगे तो इसका बुरा असर आपके होने वाले बच्चे पर पड़ सकता है।
13. यदि आप शराब और धूम्रपान करती है तो प्लीज प्रेगनेंसी के दौरान अपनी इन habits को बंद कर देना ही उचित होगा। क्योंकि शराब और धूम्रपान ना केवल आपके स्वास्थ्य के लिए बल्कि आपके होने वाले बच्चे के लिए भी बहुत खतरनाक साबित हो सकते हैं।
14. प्रेगनेंसी के दौरान डायटिंग बिल्कुल ना करें ना ही कोई भी उपवास रखे यदि आप भूखी रहेंगी तो आपके अंदर विकसित होने वाले शिशु को कैसे पोशन मिलेगा इसलिए थोड़े थोड़े समय पर कुछ ना कुछ हेल्दी फूड खाते रहे इस समय अपने वजन बढ़ने कि चिंता छोड़कर आने वाले स्वस्थ शिशु के बारे में सोचे
15. प्रेगनेंसी में Iron कि कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टर द्वारा दिए गए Iron Suppliments के साथ साथ Iron से भरपूर आहार खाए, ताकि आपके शरीर में Iron कि कमी ना हो।
इसके लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, गाजर, फल, अंकुरित दाले, अनाज और दूध का सेवन हर रोज करें।
16. प्रेगनेंसी के दौरान समय-समय पर अपने डॉक्टर से अपनी स्वास्थ्य की जांच करवाते रहें। इसमें बिल्कुल भी लापरवाही ना करें। अपने डॉक्टर को बिना हिचकिचाहट अपनी सारी प्रॉब्लम बताएं, ताकि सही समय पर आपको उसका सही समाधान मिल सके। परंतु यदि आप अपने ही डॉक्टर से अपनी शरीर संबंधी कोई भी प्रॉब्लम छिपाएंगे तो हो सकता है आगे जाकर इसका बुरा परिणाम आपको या आपके होने वाले बच्चे को भुगतना पड़े। इसलिए अपने डॉक्टर से खुलकर पूरी बात करें। ताकि आपको समय रहते अपनी स्वास्थ्य संबंधित प्रॉब्लम का समाधान या उसका उचित ट्रीटमेंट मिल सके।
डॉक्टर की सलाह से समय-समय पर सभी जरूरी टेस्ट और सोनोग्राफी करवाना जरूरी होता है। पहली सोनोग्राफी 2 से 3 महीने की अवस्था में करवाई जाती है। इससे बच्चे की स्थिति के बारे में पता चलता है और साथ ही डिलीवरी की ड्यू डेट भी इसी के आधार पर तय की जाती है। इसके बाद 5 से 6 महीने में दूसरी सोनोग्राफी करवाई जाती है जिससे गर्भ में स्थित शिशु के स्वास्थ्य के बारे में जाना जाता है कि शिशु के शरीर में जन्म से कोई गड़बड़ी ना हो जैसे कि heart संबंधित या दिमाग संबंधित या रीड की हड्डी संबंधित कोई प्रॉब्लम तो नहीं है। यदि ऐसा कुछ होता है तो डॉक्टर या तो गर्भ में इसका इलाज करने की कोशिश करते हैं। या फिर बच्चे के जन्म के समय doctors पूरी तरह से अलर्ट रहते हैं कि बच्चे को किस तरह की प्रॉब्लम है ताकि उसके लिए सभी Precautions का ध्यान रखा जा सके। उसके बाद 8 से 9 महीने के बीच में दो-तीन सोनोग्राफी करवाई जाती है जिससे बच्चे का सही वजन, उसकी सही पोजीशन और गर्भाशय में पानी की मात्रा की जांच की जाती है। इस समय की गई सोनोग्राफी से बच्चे की सही स्थिति का पता लगाया जाता है।
इसलिए प्रेग्नेंसी के समय अपने और अपने होने वाले बेबी के लिए एक सही डॉक्टर का चुनाव करें और पूरी प्रेग्नेंसी के समय उनसे अपने स्वास्थ्य की जांच करवाते रहें।
17. प्रेगनेंसी के दौरान जितना हो सके खुद को तनाव से दूर रखें। खुश रहें, शांत रहें। किसी चीज के बारे में ज्यादा चिंता ना करें। क्योंकि इन सब का सीधा असर आपके होने वाले शिशु के विकास पर पड़ता है।
इसलिए जितना हो सके अपने मन को शांत रखिए। इसके लिए आप सॉफ्ट म्यूजिक सुनिए और अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ें। इन सब का आपके बच्चे के विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
18. प्रेगनेंसी के दौरान जितना हो सके करवट लेकर सोएं, पीठ के बल कम सोएं। पीठ के बल ज्यादातर लेटने से रीड की हड्डी में Pain हो सकता है। और साथ ही यदि हम करवट लेकर सोते हैं तो शिशु तक रक्त का प्रवाह ठीक से होता है, करवट
लेने से आपके शरीर में जो रक्त प्रवाह आपके शिशु तक जा रहा है उसमें कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती।
19. नियमित रूप से व्यायाम या योगा करें इससे आपको और आपके होने वाले शिशु दोनों को लाभ मिलेगा। लेकिन प्रेगनेंसी में कोई भी Exercise अपने मन से ना करें बल्कि अपने डॉक्टर से इस बारे में सही सलाह लें। या वूमेन प्रेगनेंसी फिटनेस एक्सपर्ट से मिलें। उनकी देखरेख में ही एक्सरसाइज करें तो ज्यादा बेहतर होगा। प्रेगनेंसी के दौरान व्यायाम करने से एक हेल्दी वजन मेंटेन करने में सहायता मिलती है। साथ ही इस समय किए गए योगासन शिशु के जन्म के बाद आपको अपने पहले वाली शेप में आने में मदद करेंगे।
प्रेगनेंसी में यदि हम उचित एक्सरसाइज करते हैं तो इससे हमें हाई ब्लड प्रेशर की भी प्रॉब्लम नहीं होती।
नियमित रूप से किए गए उचित और सुरक्षित योगासन आप की डिलीवरी बिना किसी प्रॉब्लम के होने में भी मददगार साबित होते हैं। और साथ ही Exercise करने से आपका मूड भी शांत और Relax रहता है। जिसका सकारात्मक असर आपके होने वाले शिशु के विकास पर पड़ता है।
इसलिए आपके और आपके होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से व्यायाम व योगासन करें परंतु Experts की निगरानी में ही करें।
20. जितना हो सके रात को जल्दी सोने की कोशिश कीजिए और सुबह जल्दी उठने की। सुबह की Fresh Air आपके और आपके होने वाले शिशु के लिए बहुत लाभदायक है। इसलिए प्रतिदिन आधे घंटे की Morning walk जरूर करें।
21. मोबाइल फोन का इस्तेमाल कम करें। मोबाइल फोन से निकलने वाली तरंगें आपके बच्चे के विकास पर बुरा असर डालती हैं।
22. आप प्रेगनेंट हैं बीमार नहीं इसलिए bed rest ज्यादा ना करें बल्कि अपने रूटीन के सभी काम आराम से करते रहें। बस सभी Precautions का पूरी तरह ध्यान रखें।
23. यदि आप Coffee का बहुत ज्यादा सेवन करती हैं तो प्रेगनेंसी के दौरान Coffee कम पिएं।वैसे बिल्कुल ना पिए तो वो ज्यादा best है। इसकी जगह अदरक Lemon tea पी सकते हैं।
24. एक प्रेगनेंट Lady को कम से कम 8 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी है यह आपके और आपके होने वाले शिशु के स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है।
25. अपने डॉक्टर की सलाह पर उचित समय पर अपने सभी Tests जैसे Ultrasound, Blood test, Urine test, ब्लड प्रेशर इत्यादि करवाते रहें। ताकि आगे चलकर किसी भी तरह की कोई Complication ना हो। ना आपके साथ ना आपके होने वाले शिशु के साथ, इसलिए कोई लापरवाही ना करें।
26. डॉक्टर द्वारा Prescribed iron, Calcium, vitamin-D की Medicines बिना लापरवाही के गर्भावस्था से लेकर स्तनपान के दौरान तक याद से लेते रहें। यह आपके और आपके शिशु के लिए बहुत आवश्यक है।
27. प्रेगनेंसी में आपके शरीर को Proteins और Vitamins कि बहुत आवश्यकता होती है इसलिए हर रोज Milk Products जैसे दूध, दही, पनीर, लस्सी ज्यादा से ज्यादा मात्रा में खाए लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि दही हमेशा दिन के समय ही खाए।
इसके अलावा प्रोटीन की पूर्ति के लिए Eggs, Beans की सब्जी, छोले, राजमा, लोबिया, मूंग की दाल, मछली, मूंगफली, भुने चने, और ड्राई फ्रूट्स जरूर खाते रहें। सोयाबीन भी प्रोटीन से भरपूर है इसे भी अपने भोजन में शामिल करें।
28. प्रेगनेंसी की व्यवस्था में Carbohydrates वाले आहार को भी ज्यादा से ज्यादा ग्रहण किजिए जैसे गेहूं की रोटी, Bread, Pasta, Brown rice, गेहूं का बना दलिया और केले इत्यादि।
Carbohydrates कि कमी से थकान महसूस होती है। इसलिए कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेना भी बहुत आवश्यक है।
29. प्रेगनेंसी में भोजन की स्वछता का विशेष ध्यान रखें। हमेशा स्वच्छ हाथो से स्वच्छ भोजन ग्रहण करे ताकि आपके शिशु तक Bacteria या Germs ना पहुंचे जिनसे शिशु के Health पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए हमेशा भोजन से पहले हाथो को अच्छे से Wash करें। और हमेशा Fresh खाना खाएं।
30. शिशु के Brain के विकास के लिए Iodine वाला आहार ज्यादा से ज्यादा मात्रा में ग्रहण करे जैसे की Milk Products और Eggs में बहुत Iodine होता है।
31. प्रेगनेंसी में वेसे भी Skin बहुत ज्यादा Sensitive हो जाती है इसलिए प्रेगनेंसी में अपने Skin पर ज्यादा केमिकल वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल ना ही करें तो बेहतर है। और यह केमिकल कहीं ना कहीं आपके बेबी को भी इफेक्ट कर सकते हैं।
32. प्रेगनेंसी में सेक्स रूटीन को लेकर भी आप अपने डॉक्टर से खुल कर बात करें और सही परामर्श लीजिए। क्योंकि प्रेगनेंसी के पहले 3 महीने और आखिरी के 2 महीने बहुत ज्यादा Sensitive और Precautions रखने वाले होते हैं। और यदि आपके लाइफ पार्टनर
आप को समझते हैं और आपकी हर तकलीफ को समझते हैं तो वह इस बात को लेकर बहुत केयरफुल रहेंगे।
33. प्रेगनेंसी के समय मां को टिटनेस के इंजेक्शन लगवाने बहुत जरूरी होते हैं। टिटनेस के दो इंजेक्शन मां को 4 से 6 हफ्ते के अंतराल में लगते हैं। जिससे मां और होने वाले शिशु दोनों में टिटनेस की रोकथाम हो जाती है। इसलिए टिटनेस के ये Two Injections को लगवाने में बिल्कुल भी लापरवाही ना करें।
34. अपने डॉक्टर से अपने डिलीवरी की Due Date के बारे में अच्छे से समझ लें। इसमें बिल्कुल भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए। नहीं तो डिलीवरी में Complications उत्पन्न हो सकती है। इसलिए आपको जो डिलीवरी की Due Date बताई गई है उस Date पर आपको हॉस्पिटल में एडमिट हो जाना बेहतर होता है।
35. प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में किसी जिम्मेदार व्यक्ति के पास ही रहें। क्योंकि इस समय कभी भी आवश्यकता पड़ सकती है आप को संभालने की। कई बार डिलीवरी की Due डेट से पहले भी डिलीवरी होने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए ऐसे समय में किसी बड़े समझदार व्यक्ति का आपके साथ होना बहुत जरूरी होता है।
और साथ ही प्रेगनेंसी के Last Month में होने वाले बेबी के लिए जरूरी सामान जैसे सॉफ्ट Towels, बेबी के लिए आरामदायक कपड़े, डायपर्स वगैरह खरीद कर रख लें।
Pregnancy में इन चीजों को Avoid करें:-------
1. बैंगन:---- प्रेगनेंसी में बैंगन ना खाएं। बैंगन खाने से पेट में गैस बनने लगती है और कभी कभी इतनी ज्यादा बन जाती है कि घबराहट और बेचैनी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसलिए जितना हो सके बैंगन की सब्जी को Avoid ही करें।
2. अनानास:--- गर्भावस्था की स्थिति में अनानास को भी अवॉइड ही करना चाहिए। यह फल भी मिसकैरिज की संभावना को बढ़ा देता है।
3. मेथी दाना:--- प्रेगनेंसी में मेथी दाना भी बहुत कम मात्रा में ही खाएं क्योंकि मेथी दाना खाने से बंद नाक या सूजन की प्रॉब्लम हो सकती है। इसके ज्यादा सेवन से समय से पहले डिलीवरी होने के चांसेस बढ़ जाते हैं।
4. पपीता:---- पपीता वैसे तो बहुत से पौष्टिक गुणों से भरा पड़ा है। परंतु प्रेगनेंसी में इस फल को ना ही खाएं तो बेहतर है क्योंकि यह फल तासीर में बहुत गर्म होता है इससे गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है।
5. तिल:- पपीते की तरह ही तिल की तासीर भी बहुत गर्म होती है। इसलिए इसका भी अधिक सेवन ना करें। इसका अधिक सेवन भी मिसकैरिज की संभावना को बढ़ा सकता है। इसलिए कहा जाता है कि प्रेगनेंसी में अपने सही खानपान का विशेष ध्यान रखें।
तो दोस्तों यह हैं कुछ जरूरी बातें जिनका प्रेग्नेंसी में ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है। प्रेगनेंसी में अपनाई गई अच्छी आदतों का असर बच्चे के विकास पर सकारात्मक पड़ता है। और दूसरी तरफ जरा सी भी लापरवाही आपको और आपके बच्चे के जीवन को खतरे में डाल सकती है।
इसलिए प्रेगनेंसी में बहुत केयरफुल रहने की आवश्यकता होती है।
हर बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है।
परंतु दोस्तों हर इंसान अलग होता है और उसकी प्रेग्नेंसी भी दूसरों से अलग हो सकती है इसलिए कोई भी चीज खाने से पहले और कोई भी नुस्खा अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से उचित सलाह जरूर लेनी चाहिए।
तो दोस्तों आज के लिए इतना ही आशा करती हूं आपको आज का ब्लॉग अच्छा लगा हो। फिर मिलते हैं किसी नए ब्लॉग के साथ किसी नई Healthy मन की बात के साथ।
धन्यवाद।
अपना और आपके अपनों का ख्याल रखिए। और अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखें।
Be hygiene......be healthy......be safe........
Thanks 😊☺️☺️😊😊😊☺️☺️😊
मैं हूं आपकी ब्लॉगर और साथ ही youtuber मनीषा।
बहुत-बहुत स्वागत है आपका मेरी ब्लॉग वेबसाइट www.healthymannkibaat.com में।
दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं कि मैं अपने ब्लॉग वेबसाइट में बच्चों और बड़ों की हेल्थ के बारे में और स्वच्छता के बारे में Articles लिखती हूं।
इसी प्रकार मेरा आज का ब्लॉग भी हेल्थ से ही संबंधित है। आज के ब्लॉग में हम चर्चा करेंगे कि गर्भावस्था में एक महिला अपनी और अपने होने वाले बच्चे की देखभाल कैसे करें।
दोस्तों जब एक लड़की विवाह करके अपने ससुराल आती है तो उसकी जिंदगी में एक नई शुरुआत होती है। उसकी जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। बहुत से नए रिश्ते बनते हैं जिन्हें वह पूरी ईमानदारी से और लगन से निभाती भी है।
परंतु जब एक औरत को भगवान मां का दर्जा प्रदान करता है तब सही मायने में एक औरत संपूर्ण औरत बन जाती है, तब उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता वह उस पल को अपने अंदर समा लेना चाहती है जिस पल उसे पता चलता है कि उसके अंदर भी एक नन्हा सा जीव जो उसका खुद का है, जो उसको मां कहकर पुकारेगा, पल रहा है।
मां और बच्चे का रिश्ता जिसे ममता का रिश्ता कहा जाता है, यह दुनिया में सभी रिश्तो से ऊपर होता है।
जब एक स्त्री को यह पता चलता है कि वह मां बनने वाली है तो वह अपना हर कदम उस होने वाले बच्चे के बारे में सोचकर उठाती है ताकि उस नन्हे से जीव को कोई नुकसान ना हो जो उसके अंदर सांसे ले रहा है। अब से वह जो कुछ भी करती है, उठती है, बैठती है , सोती है जागती है, खाती है पीती है या सोचती है तो सिर्फ और सिर्फ उस बच्चे को ध्यान में रखकर हर चीज करती है।
जब एक स्त्री मां बनती है तो उसके शरीर में कई तरह के शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होने लगते हैं, जो कि गर्भ अवस्था से ही शुरू हो जाते हैं।
चलिए विस्तार से चर्चा करते हैं कि प्रेगनेंसी में किन बातों का बहुत ध्यान से ख्याल रखा जाए:-----
गर्भवती होने के लक्षण:------ जब एक स्त्री गर्भवती होती है तो उसके मासिक धर्म रुक जाते हैं। उसके व्यवहार में पहले की अपेक्षा काफी परिवर्तन होने लगता है जिसको Mood Swing कहते हैं। बार-बार पेशाब आने लगता है। कोई भी काम करते हुए थकान महसूस होने लगती है। सूंघने की क्षमता पहले की अपेक्षा ज्यादा तेजी से बढ़ जाती है। सिर में दर्द होने की शिकायत होने लगती है और कई बार चक्कर जैसा भी महसूस होता है। खाने की पसंद में बदलाव होने लगता है। पेट के निचले हिस्से में काफी दर्द महसूस होता है और साथ ही पीठ में भी दर्द की शिकायत हो सकती है। तो यदि आपको ऐसे लक्षण महसूस हो रहे हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से अपना प्रॉपर चेकअप करवाना चाहिए क्योंकि यह लक्षण गर्भवती होने की तरफ संकेत करते हैं।
Pregnency में रखें इन बातों का खास ख्याल:------तो अब जब आपको यह खुशखबरी मिल चुकी है कि आप मां बनने वाली हैं, तो अब आप की जिम्मेवारी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। आपको अब अपने साथ-साथ अपने अंदर पल रहे उस नन्हे से जीव का भी बहुत ध्यान से ख्याल रखना होगा। आपकी जरा सी भी लापरवाही आपको या आपके होने वाले बच्चे को खतरे में डाल सकती हैं।
तो अब भूल कर भी कोई भूल ना हो इसलिए इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है:------
1. सबसे पहले एक गर्भवती स्त्री को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। प्रेगनेंसी के दौरान भूख पहले की अपेक्षा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो जब भी आपको महसूस हो रहा है कि भूख लग रही है तो कुछ ना कुछ healthy food अवश्य खाएं।
प्रेगनेंसी के दौरान भूखे बिल्कुल ना रहे। अपने भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें। सभी प्रकार की दाले खाएं। अंकुरित अनाज खाएँ। सफेद चावल और सफेद ब्रेड के अपेक्षा ब्राउन चावल और ब्राउन ब्रेड को अपने भोजन में शामिल करें।
2. शरीर में पानी की कमी ना होने दें पूरे दिन कम से कम 8 से 10 गिलास पानी जरूर पिएं। पूरे दिन तरल पेय पदार्थ पानी, जूस, शेक, छाछ, नारियल पानी इत्यादि पीती रहें। जिससे शरीर में पानी की कमी नहीं हो पाएगी।
3. यदि सुबह के समय मॉर्निंग सिकनेस महसूस हो रही है तो सुबह नींबू पानी या अदरक वाली चाय पी सकते हैं जिससे काफी हद तक आराम मिलेगा।
4. प्रेगनेंसी के दौरान फास्ट फूड जितना हो सके उतना Avoid कीजिए क्योंकि इसमें Fat बहुत ज्यादा होता है जिससे शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है। जिससे आपको और आपके होने वाले बच्चे को बहुत नुकसान हो सकता है। इसलिए भूख लगने पर घर का बना हुआ संतुलित और पौष्टिक भोजन ही खाएं।
5. अपने भोजन में ज्यादा से ज्यादा फलों को शामिल करें। आप चाहे तो फल काटकर खाएं या फलों का जूस भी ग्रहण कर सकते हैं। तो जब भी भूख लगे कुछ भी उल्टा सीधा खाने के बजाए फल खाए। यह आपके लिए और आपके होने वाले बच्चे के लिए बहुत हेल्दी ऑप्शन है।
6. ड्राई फ्रूट्स का सेवन भी करते रहे जैसे कि बादाम, किशमिश, अखरोट, काजू इत्यादि। यह आपके और आपके होने वाले शिशु के लिए बहुत जरूरी है।
7. प्रेगनेंसी के दौरान ट्रेवलिंग करने से जितना हो सके उतना बचें। स्पेशली प्रेगनेंसी के पहले 2 महीने और लास्ट के आठवें नौवें महीने में ट्रैवलिंग करना बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए यदि बहुत जरूरी है तो डॉक्टर से सलाह मशवरा करके ही कदम आगे बढ़ाएं।
8. प्रेगनेंसी में ज्यादा भीड़भाड़ वाले स्थानों पर और प्रदूषण वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। यदि किसी कारणवश यात्रा कर भी रही है तो उबड़ खाबड़ वाले रास्तों पर जाने से बचें।
9. प्रेगनेंसी में High Heel के फुटवियर को अवॉइड करना बहुत आवश्यक होता है इस समय आरामदायक फुटवियर का ही चुनाव करें जो कि आपके लिए और आपके होने वाले बच्चे के लिए Safe हो। और प्रेगनेंसी में ज्यादा देर खड़े भी ना रहे इससे बेबी के विकास पर गलत असर पड़ता है।
अपने रोजमर्रा के काम करते हुए बीच-बीच में थोड़ा थोड़ा आराम भी करते रहें।
10. प्रेगनेंसी की शुरुआत से ही डॉक्टर कुछ इंजेक्शन बताते हैं जो कि आपके लिए और आपके होने वाली बेबी के लिए बहुत जरूरी होते हैं। इसलिए बिना किसी लापरवाही के जो वैक्सिनेशन जिस समय पर बताया गया है उस समय पर लगवाना बहुत आवश्यक होता है। इसमें बिल्कुल भी लापरवाही ना करें।
11. प्रेगनेंसी के दौरान ज्यादा भारी सामान ना उठाएं। और ना ही ज्यादा झुकने वाले काम करें। इससे आपके होने वाले बेबी को काफी नुकसान पहुंच सकता है। मिसकैरिज तक की संभावना भी उत्पन्न हो सकती है। इसलिए सावधानी रखना बहुत जरूरी होता है।
12. प्रेगनेंसी के दौरान यदि आपको कोई भी health संबंधित प्रॉब्लम हो रही तो बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी Medicine मत लीजिए अपनी मर्जी से कोई भी दवाई लेंगे तो इसका बुरा असर आपके होने वाले बच्चे पर पड़ सकता है।
13. यदि आप शराब और धूम्रपान करती है तो प्लीज प्रेगनेंसी के दौरान अपनी इन habits को बंद कर देना ही उचित होगा। क्योंकि शराब और धूम्रपान ना केवल आपके स्वास्थ्य के लिए बल्कि आपके होने वाले बच्चे के लिए भी बहुत खतरनाक साबित हो सकते हैं।
14. प्रेगनेंसी के दौरान डायटिंग बिल्कुल ना करें ना ही कोई भी उपवास रखे यदि आप भूखी रहेंगी तो आपके अंदर विकसित होने वाले शिशु को कैसे पोशन मिलेगा इसलिए थोड़े थोड़े समय पर कुछ ना कुछ हेल्दी फूड खाते रहे इस समय अपने वजन बढ़ने कि चिंता छोड़कर आने वाले स्वस्थ शिशु के बारे में सोचे
15. प्रेगनेंसी में Iron कि कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टर द्वारा दिए गए Iron Suppliments के साथ साथ Iron से भरपूर आहार खाए, ताकि आपके शरीर में Iron कि कमी ना हो।
इसके लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, गाजर, फल, अंकुरित दाले, अनाज और दूध का सेवन हर रोज करें।
16. प्रेगनेंसी के दौरान समय-समय पर अपने डॉक्टर से अपनी स्वास्थ्य की जांच करवाते रहें। इसमें बिल्कुल भी लापरवाही ना करें। अपने डॉक्टर को बिना हिचकिचाहट अपनी सारी प्रॉब्लम बताएं, ताकि सही समय पर आपको उसका सही समाधान मिल सके। परंतु यदि आप अपने ही डॉक्टर से अपनी शरीर संबंधी कोई भी प्रॉब्लम छिपाएंगे तो हो सकता है आगे जाकर इसका बुरा परिणाम आपको या आपके होने वाले बच्चे को भुगतना पड़े। इसलिए अपने डॉक्टर से खुलकर पूरी बात करें। ताकि आपको समय रहते अपनी स्वास्थ्य संबंधित प्रॉब्लम का समाधान या उसका उचित ट्रीटमेंट मिल सके।
डॉक्टर की सलाह से समय-समय पर सभी जरूरी टेस्ट और सोनोग्राफी करवाना जरूरी होता है। पहली सोनोग्राफी 2 से 3 महीने की अवस्था में करवाई जाती है। इससे बच्चे की स्थिति के बारे में पता चलता है और साथ ही डिलीवरी की ड्यू डेट भी इसी के आधार पर तय की जाती है। इसके बाद 5 से 6 महीने में दूसरी सोनोग्राफी करवाई जाती है जिससे गर्भ में स्थित शिशु के स्वास्थ्य के बारे में जाना जाता है कि शिशु के शरीर में जन्म से कोई गड़बड़ी ना हो जैसे कि heart संबंधित या दिमाग संबंधित या रीड की हड्डी संबंधित कोई प्रॉब्लम तो नहीं है। यदि ऐसा कुछ होता है तो डॉक्टर या तो गर्भ में इसका इलाज करने की कोशिश करते हैं। या फिर बच्चे के जन्म के समय doctors पूरी तरह से अलर्ट रहते हैं कि बच्चे को किस तरह की प्रॉब्लम है ताकि उसके लिए सभी Precautions का ध्यान रखा जा सके। उसके बाद 8 से 9 महीने के बीच में दो-तीन सोनोग्राफी करवाई जाती है जिससे बच्चे का सही वजन, उसकी सही पोजीशन और गर्भाशय में पानी की मात्रा की जांच की जाती है। इस समय की गई सोनोग्राफी से बच्चे की सही स्थिति का पता लगाया जाता है।
इसलिए प्रेग्नेंसी के समय अपने और अपने होने वाले बेबी के लिए एक सही डॉक्टर का चुनाव करें और पूरी प्रेग्नेंसी के समय उनसे अपने स्वास्थ्य की जांच करवाते रहें।
17. प्रेगनेंसी के दौरान जितना हो सके खुद को तनाव से दूर रखें। खुश रहें, शांत रहें। किसी चीज के बारे में ज्यादा चिंता ना करें। क्योंकि इन सब का सीधा असर आपके होने वाले शिशु के विकास पर पड़ता है।
इसलिए जितना हो सके अपने मन को शांत रखिए। इसके लिए आप सॉफ्ट म्यूजिक सुनिए और अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ें। इन सब का आपके बच्चे के विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
18. प्रेगनेंसी के दौरान जितना हो सके करवट लेकर सोएं, पीठ के बल कम सोएं। पीठ के बल ज्यादातर लेटने से रीड की हड्डी में Pain हो सकता है। और साथ ही यदि हम करवट लेकर सोते हैं तो शिशु तक रक्त का प्रवाह ठीक से होता है, करवट
लेने से आपके शरीर में जो रक्त प्रवाह आपके शिशु तक जा रहा है उसमें कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती।
19. नियमित रूप से व्यायाम या योगा करें इससे आपको और आपके होने वाले शिशु दोनों को लाभ मिलेगा। लेकिन प्रेगनेंसी में कोई भी Exercise अपने मन से ना करें बल्कि अपने डॉक्टर से इस बारे में सही सलाह लें। या वूमेन प्रेगनेंसी फिटनेस एक्सपर्ट से मिलें। उनकी देखरेख में ही एक्सरसाइज करें तो ज्यादा बेहतर होगा। प्रेगनेंसी के दौरान व्यायाम करने से एक हेल्दी वजन मेंटेन करने में सहायता मिलती है। साथ ही इस समय किए गए योगासन शिशु के जन्म के बाद आपको अपने पहले वाली शेप में आने में मदद करेंगे।
प्रेगनेंसी में यदि हम उचित एक्सरसाइज करते हैं तो इससे हमें हाई ब्लड प्रेशर की भी प्रॉब्लम नहीं होती।
नियमित रूप से किए गए उचित और सुरक्षित योगासन आप की डिलीवरी बिना किसी प्रॉब्लम के होने में भी मददगार साबित होते हैं। और साथ ही Exercise करने से आपका मूड भी शांत और Relax रहता है। जिसका सकारात्मक असर आपके होने वाले शिशु के विकास पर पड़ता है।
इसलिए आपके और आपके होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से व्यायाम व योगासन करें परंतु Experts की निगरानी में ही करें।
20. जितना हो सके रात को जल्दी सोने की कोशिश कीजिए और सुबह जल्दी उठने की। सुबह की Fresh Air आपके और आपके होने वाले शिशु के लिए बहुत लाभदायक है। इसलिए प्रतिदिन आधे घंटे की Morning walk जरूर करें।
21. मोबाइल फोन का इस्तेमाल कम करें। मोबाइल फोन से निकलने वाली तरंगें आपके बच्चे के विकास पर बुरा असर डालती हैं।
22. आप प्रेगनेंट हैं बीमार नहीं इसलिए bed rest ज्यादा ना करें बल्कि अपने रूटीन के सभी काम आराम से करते रहें। बस सभी Precautions का पूरी तरह ध्यान रखें।
23. यदि आप Coffee का बहुत ज्यादा सेवन करती हैं तो प्रेगनेंसी के दौरान Coffee कम पिएं।वैसे बिल्कुल ना पिए तो वो ज्यादा best है। इसकी जगह अदरक Lemon tea पी सकते हैं।
24. एक प्रेगनेंट Lady को कम से कम 8 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी है यह आपके और आपके होने वाले शिशु के स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है।
25. अपने डॉक्टर की सलाह पर उचित समय पर अपने सभी Tests जैसे Ultrasound, Blood test, Urine test, ब्लड प्रेशर इत्यादि करवाते रहें। ताकि आगे चलकर किसी भी तरह की कोई Complication ना हो। ना आपके साथ ना आपके होने वाले शिशु के साथ, इसलिए कोई लापरवाही ना करें।
26. डॉक्टर द्वारा Prescribed iron, Calcium, vitamin-D की Medicines बिना लापरवाही के गर्भावस्था से लेकर स्तनपान के दौरान तक याद से लेते रहें। यह आपके और आपके शिशु के लिए बहुत आवश्यक है।
27. प्रेगनेंसी में आपके शरीर को Proteins और Vitamins कि बहुत आवश्यकता होती है इसलिए हर रोज Milk Products जैसे दूध, दही, पनीर, लस्सी ज्यादा से ज्यादा मात्रा में खाए लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि दही हमेशा दिन के समय ही खाए।
इसके अलावा प्रोटीन की पूर्ति के लिए Eggs, Beans की सब्जी, छोले, राजमा, लोबिया, मूंग की दाल, मछली, मूंगफली, भुने चने, और ड्राई फ्रूट्स जरूर खाते रहें। सोयाबीन भी प्रोटीन से भरपूर है इसे भी अपने भोजन में शामिल करें।
28. प्रेगनेंसी की व्यवस्था में Carbohydrates वाले आहार को भी ज्यादा से ज्यादा ग्रहण किजिए जैसे गेहूं की रोटी, Bread, Pasta, Brown rice, गेहूं का बना दलिया और केले इत्यादि।
Carbohydrates कि कमी से थकान महसूस होती है। इसलिए कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेना भी बहुत आवश्यक है।
29. प्रेगनेंसी में भोजन की स्वछता का विशेष ध्यान रखें। हमेशा स्वच्छ हाथो से स्वच्छ भोजन ग्रहण करे ताकि आपके शिशु तक Bacteria या Germs ना पहुंचे जिनसे शिशु के Health पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए हमेशा भोजन से पहले हाथो को अच्छे से Wash करें। और हमेशा Fresh खाना खाएं।
30. शिशु के Brain के विकास के लिए Iodine वाला आहार ज्यादा से ज्यादा मात्रा में ग्रहण करे जैसे की Milk Products और Eggs में बहुत Iodine होता है।
31. प्रेगनेंसी में वेसे भी Skin बहुत ज्यादा Sensitive हो जाती है इसलिए प्रेगनेंसी में अपने Skin पर ज्यादा केमिकल वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल ना ही करें तो बेहतर है। और यह केमिकल कहीं ना कहीं आपके बेबी को भी इफेक्ट कर सकते हैं।
32. प्रेगनेंसी में सेक्स रूटीन को लेकर भी आप अपने डॉक्टर से खुल कर बात करें और सही परामर्श लीजिए। क्योंकि प्रेगनेंसी के पहले 3 महीने और आखिरी के 2 महीने बहुत ज्यादा Sensitive और Precautions रखने वाले होते हैं। और यदि आपके लाइफ पार्टनर
आप को समझते हैं और आपकी हर तकलीफ को समझते हैं तो वह इस बात को लेकर बहुत केयरफुल रहेंगे।
33. प्रेगनेंसी के समय मां को टिटनेस के इंजेक्शन लगवाने बहुत जरूरी होते हैं। टिटनेस के दो इंजेक्शन मां को 4 से 6 हफ्ते के अंतराल में लगते हैं। जिससे मां और होने वाले शिशु दोनों में टिटनेस की रोकथाम हो जाती है। इसलिए टिटनेस के ये Two Injections को लगवाने में बिल्कुल भी लापरवाही ना करें।
34. अपने डॉक्टर से अपने डिलीवरी की Due Date के बारे में अच्छे से समझ लें। इसमें बिल्कुल भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए। नहीं तो डिलीवरी में Complications उत्पन्न हो सकती है। इसलिए आपको जो डिलीवरी की Due Date बताई गई है उस Date पर आपको हॉस्पिटल में एडमिट हो जाना बेहतर होता है।
35. प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में किसी जिम्मेदार व्यक्ति के पास ही रहें। क्योंकि इस समय कभी भी आवश्यकता पड़ सकती है आप को संभालने की। कई बार डिलीवरी की Due डेट से पहले भी डिलीवरी होने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए ऐसे समय में किसी बड़े समझदार व्यक्ति का आपके साथ होना बहुत जरूरी होता है।
और साथ ही प्रेगनेंसी के Last Month में होने वाले बेबी के लिए जरूरी सामान जैसे सॉफ्ट Towels, बेबी के लिए आरामदायक कपड़े, डायपर्स वगैरह खरीद कर रख लें।
Pregnancy में इन चीजों को Avoid करें:-------
1. बैंगन:---- प्रेगनेंसी में बैंगन ना खाएं। बैंगन खाने से पेट में गैस बनने लगती है और कभी कभी इतनी ज्यादा बन जाती है कि घबराहट और बेचैनी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसलिए जितना हो सके बैंगन की सब्जी को Avoid ही करें।
2. अनानास:--- गर्भावस्था की स्थिति में अनानास को भी अवॉइड ही करना चाहिए। यह फल भी मिसकैरिज की संभावना को बढ़ा देता है।
3. मेथी दाना:--- प्रेगनेंसी में मेथी दाना भी बहुत कम मात्रा में ही खाएं क्योंकि मेथी दाना खाने से बंद नाक या सूजन की प्रॉब्लम हो सकती है। इसके ज्यादा सेवन से समय से पहले डिलीवरी होने के चांसेस बढ़ जाते हैं।
4. पपीता:---- पपीता वैसे तो बहुत से पौष्टिक गुणों से भरा पड़ा है। परंतु प्रेगनेंसी में इस फल को ना ही खाएं तो बेहतर है क्योंकि यह फल तासीर में बहुत गर्म होता है इससे गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है।
5. तिल:- पपीते की तरह ही तिल की तासीर भी बहुत गर्म होती है। इसलिए इसका भी अधिक सेवन ना करें। इसका अधिक सेवन भी मिसकैरिज की संभावना को बढ़ा सकता है। इसलिए कहा जाता है कि प्रेगनेंसी में अपने सही खानपान का विशेष ध्यान रखें।
तो दोस्तों यह हैं कुछ जरूरी बातें जिनका प्रेग्नेंसी में ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है। प्रेगनेंसी में अपनाई गई अच्छी आदतों का असर बच्चे के विकास पर सकारात्मक पड़ता है। और दूसरी तरफ जरा सी भी लापरवाही आपको और आपके बच्चे के जीवन को खतरे में डाल सकती है।
इसलिए प्रेगनेंसी में बहुत केयरफुल रहने की आवश्यकता होती है।
हर बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है।
परंतु दोस्तों हर इंसान अलग होता है और उसकी प्रेग्नेंसी भी दूसरों से अलग हो सकती है इसलिए कोई भी चीज खाने से पहले और कोई भी नुस्खा अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से उचित सलाह जरूर लेनी चाहिए।
तो दोस्तों आज के लिए इतना ही आशा करती हूं आपको आज का ब्लॉग अच्छा लगा हो। फिर मिलते हैं किसी नए ब्लॉग के साथ किसी नई Healthy मन की बात के साथ।
धन्यवाद।
अपना और आपके अपनों का ख्याल रखिए। और अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखें।
Be hygiene......be healthy......be safe........
Thanks 😊☺️☺️😊😊😊☺️☺️😊
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